ललित निबंध संग्रह ' देखना 'मेरी ऐनक से' लोकार्पित
हैदराबाद, एफ एम सलीम के ललित निबंध संग्रह 'देखना मेरी ऐनक से का आज लोकार्पण हुआ। बशीरबाग स्थित प्रेस क्लब के सुरवरम प्रताप रेजी सभागार में साहित्य प्रेमी संस्था शब्द सुगंध द्वारा आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि दैनिक सियासत हैदराबाद के संपादक आमिर अली खान थे। अवसर पर विशेष अतिथि मानू के बोसो ओएसडी प्रो. सिद्दकी मुहम्मद महमूद तथा हिन्दी मिलाप के विज्ञापन प्रबंधक प्रकाश जैन मंचासीन थे। समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने की। आमिर अली खान ने 'देखना मेरी ऐनक से' को लोकार्पित करते हुए संग्रह विषयों की सराहना की। उन्होंने कहा कि लेखक ने समाज को देखने के लिए जिस गहरे दृष्टिकोण को अपनाया है, वह स्वागत के योग्य है। इस ललित निबंध संग्रह के माध्यम से एफ एम सलीम ने गागर में खागर भरने का कार्य किया है। आकार में रचनाएं भले ही
छोटी है, लेकिन उनकी विषय वस्तुओं में बहुत गहराई है। आमिर अली खान ने कहा कि हिंदुस्तान में पढ़ने का शौक आज भी लोगों में बरकरार है, जिसके कारण हमारे पास 'नॉलेज सोसायटी' है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की रचनाएं पाठकों को विभिन्न प्रकार के सामाजिक विषयों के प्रति मंचन तथा चिंतन का अवसर प्रदान करती हैं। प्रो. सिद्दीकी मुहम्मद महमूद ने अपने संबोधन में कहा कि नगरिया हर किसी के पास होता है, लेकिन वह उस समय चित्तनीय बन जाता है, जब उसे दूसरों पर थोपने का प्रयास किया जाता है एफ एफ सलीम ने 'देखना मेरी ऐनक से के माध्यम से छोटे छोटे विषयों को केंद्र बिंदु बनाकर खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया है। दिल को छूने वाली इसमें संकलित सभी रचनाओं के निष्कर्ष अपने आप में गहरे संदेश समाहित किए हैं लेखन शैली में लोकतांत्रिक राय परिलक्षित होती है
प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि 'देखना मेरी ऐनक से' में लेखक एफ एम सलीम ने अपने तमाम व्यापक सामाजिक सरोकारों को निजी अनुभवों तथा स्मृतियों के साथ पिरोने का प्रयास किया है। इस संकलन की शैली कहानीकार की तरह है, जो चंद शब्दों के माध्यम से रचना को परमोत्कर्ष की ओर ले जाती है। इसमें संकलित रचनाओं में समाहित समाधान किसी सुझाव की तरह न होकर 'चोट' की तरह हैं, जो पाठकों को विषय-वस्तु के प्रति सोचने के लिए मजबूर करती हैं। हर रचना को अंतिम पंक्तियां किसी सूक्ति की तरह प्रतीत होती हैं। इन्हें व्यक्ति-व्यंजक की
संज्ञा भी दी जा सकती है प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि इन रचनाओं के आइने में लेखक का पारदर्शी व्यक्तित्व भी परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि कुंठाहीन
व्यक्ति ही विश्वामित्र या अजातशत्रु हो सकता है। इसके प्रतिमान लेखक एफ एम सलीम ने 'देखना मेरी ऐनक से ये माध्यम से साधारण से असाधारण को रचने की कला को ललित अभिव्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किया है। उन्होंने इन लघु आलेखों के लिए ऐसी निजी शैली आविष्कृत की है,
जो पाठकों को निश्चित रूप से कुतूहल भरा आनंद प्रदान करेंगी।
अवसर पर प्रकाश जैन ने संकलन के लोकार्पण के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि एक एम सलीम की हिन्दी तथा ऊर्दू पर मजबूत है। उन्होंने अपने साहित्य तथा रचनाओं के माध्यम से पाठकों के बीच एक अलग पहचान स्थापित की है। इस कड़ी में देखना मेरी ऐनक से' के माध्यम से उन्होंने अनुभवों तथा सामाजिक प्रत्यक्षीकरण का संकलन किया है। इसके पूर्व एफ एम सलीम ने
दिया। उन्होंने कहा कि हिन्दी मिलाप की रविवारीय पत्रिका के स्तंभ के रूप में कुछ ऐसा लिखना था, जो अधिक गंभीर न होते हुए चंद मिनट में पढ़ने वाला हो। इस कड़ी में एक पत्रकार के रूप में जो कुछ देखा सुना, अनुभूत किया, उसे शब्दों में डालने का प्रयास किया। यह संकलन इन्हीं प्रयासों की एक परिणित है। उन्होंने विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं प्रदान करने के लिए पूरे मिलाप परिवार सहित सभी शुभचितकों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बटुका की असोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुषमा देवी, इफ्लू की असोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियदर्शिनी, डॉ. रउफुद्दीन शाकिर, होना सुल्ताना ने 'देखना मेरी ऐनक से
में संकलित कुछ ललित निबंधों का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रउफुद्दीन शाकिर द्वारा किया गया। अवसर पर गणमान्य जन तथा साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।