हिंदी दिवस पर विशेष- हिंदी श्वासों के हर तार में तू
श्वासों के हर तार में तू
हृदय के उद्गार में तू,
व्याख्यान करूं क्या, हे!मातृभाषा ,
मेरी वाणी का प्राण है तू -2
आमजन की बोली में ,
अपना रूप सहज सरल कर,
विश्व के पटल पर छा रही,
विकसित विराट रूप लेकर,
जग में तूने अपनी एक ,
पहचान बना दी,
देवनागरी लिपि तेरी ,
अपनी वैज्ञानिकी दिखा रही,
मन के भावों को तू ,
सरसता से है दर्शाती,
शब्दों की कटुता में भी ,
मिठास का आभास कराती,
अमीर गरीब का भेद मिटाकर ,
अपना ममत्व सब पर लुटाती,
हिंद के अस्तित्व में फर्ज़,
तू खूब निभाती,
भटकों को राह दिखाती,
अंतर्मन में सुकून लाती,
रूप तेरा अनंत अपार,
अट्ठारह बोलियों का तुझमें समाहार,
सिमट कर रह गई जहां,
बहुत सी भाषाएं,
वहां भी तू सबकी चहेती बन जाती,
अंग्रेजी के आगे अपना,
परचम तू खूब लहराती ,
असीम ज्ञान का भंडार है तू,
मेरी सभ्यता संस्कृति और पहचान है तू,
व्याख्यान करूं क्या हे मातृभाषा,
मेरी वाणी का प्राण है तू।।-2
-नैना कंसवाल
सहसपुर,देहरादून (उत्तराखंड)