तेजोमय

भारतमाता के सुपुत्र,

तेजोमय तेजस्वी।

जननी और जन्मभूमि,

के सेवक यशस्वी ।।

संसद को मंदिर माना,

संविधान को गीता।

भारत में बिखरी सारी,

संस्कृतियों को सींचा।।

देश का मुखिया बनकर,

जिसने देश सजाया।

हर डाली का माली बन,

फूलों से महकाया।।

दीर्घायु और चिरंजीव,

हों मोदीजी आप।

कटु,कुविचारी दुष्टों का,

लगे ना कोई शाप।।

सावधान रहिए शत्रु से,

खेल रहे वो दांव।

आस्तीन में छुपे हुए,

न हों दोमुंहे सांप।।

यद्यपि -

चीरहरण को तत्पर हैं,

दुर्योधन व दुशासन।

लेकिन -

शुभकामनाएं हमारी,

बन जाएंगी मोहन।। 

                                                                माया अग्रवाल वीणा

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