भारत के बेहतरीन चिकित्सा व स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में उभरा: मुख्यमंत्री
प्रदेश में विगत ढाई वर्षों से टेली मेडिसिन के क्षेत्र में बहुत अच्छे काम किए गए, पी0एच0सी0 में आरोग्य मेले के आयोजन से करोड़ों की संख्या में लोग लाभान्वित हुए
प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति करते हुए लोगों को फैसिलिटेट करने का काम किया गया
प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप आज उ0प्र0
एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज की दिशा में तेजी के साथ अग्रसर
प्रदेश में 05 करोड़ 11 लाख लोगों को आयुष्मान भारत के गोल्डन कार्ड प्रदान किये गये
मरीज के रोग, लक्षणों तथा उपचार आदि की काॅम्प्रिहेंसिव स्टडी एवं
तकनीक का उपयोग करते हुए डाटा रिपोर्ट संकलित करने की आवश्यकता
केन्द्र सरकार द्वारा 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को आयुष्मान भारत के अन्तर्गत 05 लाख रु0
तक की निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया गया
पहली बार केन्द्र व राज्य सरकार ने पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल कॉलेज बनाने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया, इस सत्र में ऐसे चार मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हुए
अन्तर्विभागीय समन्वय के माध्यम से इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया, यह एक सफलतम मॉडल, इसका स्टडी पेपर तैयार किया जाना चाहिए
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान विगत 14 वर्षाें की अल्प अवधि में एक चिकित्सालय से इंस्टीट्यूट बनकर उत्तर प्रदेश एवं भारत के बेहतरीन चिकित्सा व स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में उभरा है। यह संस्थान की एक उपलब्धि है। यही जीवन की विकास यात्रा है, जिसको हमारी ऋषि परम्परा ने संस्कृति कहा है। बीज का वृक्ष बन जाना ही संस्कृति है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चतुर्थ वार्षिक स्थापना दिवस समारोह का मुख्य अतिथि के तौर पर शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने संस्थान के विभिन्न विकास कार्याें का लोकार्पण तथा संस्थान की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट का विमोचन किया। उन्होंने वर्ष 2023-24 में उत्कृष्ट कार्य हेतु क्लीनिकल व पैरा क्लीनिकल फैकल्टी के सदस्यों को पुरस्कृत किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अच्छा करने के अच्छे तथा बुरा करने के बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। संस्थान के निर्माण मात्र से ही समस्या का समाधान नहीं होता। यदि संस्थान अच्छे हाथों में होगा, तो फल-फूल कर व संस्कृति की तरह आगे बढ़कर अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायी बनेगा। आपके द्वारा किये गये परिश्रम और पुरुषार्थ का लाभ जनता-जनार्दन को प्राप्त होगा। इस यश के भागीदार संस्थान के साथ-साथ विभाग एवं सरकार भी बनेंगे। संस्थान के गलत हाथों में जाने तथा उसकी दिशा गलत होने से मिलने वाले अपयश के भागीदार संस्थान के साथ-साथ विभाग एवं सरकार भी बनते हैं। किसी भी संस्थान द्वारा किए गए कार्य से आम जनमानस को पीड़ा मिलने पर, उसके द्वारा जो टिप्पणी की जाती है, वही अपयश कहलाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ में प्रदेश की लगभग 70 लाख आबादी निवास करती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमोत्तर बिहार तथा नेपाल की बड़ी आबादी अपनी स्वास्थ्य सुविधा के लिए लखनऊ पर निर्भर करती है। मरीज स्वास्थ्य सुविधा के लिए सबसे पहले डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में आते हैं। प्रदेश में लगभग 25 करोड़ आबादी निवास करती है। इतनी बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना चुनौती के साथ-साथ अवसर भी प्रदान करता है। यह आपके लिए अनेक प्रकार के कार्यों एवं सेवाओं के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास का माध्यम बन सकता है। के0जी0एम0यू0, आर0एम0एल0 तथा एस0जी0पी0जी0आई0 में आने वाले मरीजों को निचले स्तर पर ही जिला अस्पताल, सी0एच0सी0 तथा पी0एच0सी0 आदि में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाएं। प्रदेश में विगत ढाई वर्षों से टेली मेडिसिन के क्षेत्र में भी बहुत अच्छे काम किए गए हैं। प्रत्येक सप्ताह जिले स्तर की स्वास्थ्य टीम द्वारा पी0एच0सी0 में आरोग्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। इससे करोड़ों की संख्या में लोग लाभान्वित हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज यहां संस्थान के निदेशक द्वारा संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है। इसमें बताया गया कि संस्थान द्वारा यू0जी0, पी0जी0 एवं सुपर स्पेशियलिटी सहित अन्य विभागों का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। यह संस्थान छोटे से चिकित्सालय से बढ़कर 1300-1400 बेड के एक बड़े चिकित्सालय के रूप में अपनी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। यह आॅर्गन ट्रांसप्लांट की दिशा में भी आगे बढ़ चुका है। किसी भी संस्थान द्वारा स्थापना दिवस पर इस प्रकार की वार्षिक रिपोर्ट व प्रतिवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसके माध्यम से संस्थान द्वारा स्वयं का आकलन करने के साथ ही भविष्य की कार्य योजना भी तैयार की जा सकती है। यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस संस्थान में लाखों की संख्या में मरीज अपना उपचार करा रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मरीज के रोग, लक्षणों तथा उपचार आदि की काॅम्प्रिहेंसिव स्टडी करते हुए, तकनीक का उपयोग करते हुए डाटा रिपोर्ट संकलित करने की आवश्यकता है। प्रत्येक फैकल्टी के लिए स्टडी पेपर लिखना अनिवार्य किया जाना चाहिए। नेशनल तथा इण्टरनेशनल जर्नल्स में उनके लेख प्रकाशित किए जाने चाहिए। इन गतिविधियों पर अनुसंधान व विकास कार्य को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। तत्पश्चात पेटेंट की कार्यवाही से जुड़ना चाहिए। इसके माध्यम से संस्थान प्रगति करता हुआ दिखाई देगा तथा लोगों के विश्वास का प्रतीक बनेगा। हमें स्वयं को वर्तमान प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डॉक्टर के बारे में कहा जाता है कि वह जितना अनुभवी होगा उसका लाभ मरीजों को उतना ही अधिक प्राप्त होगा। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि गोरखपुर में एक डॉक्टर ने उनके हाथ का उपचार कुछ ही समय में कर दिया था। यह डाॅक्टर के अनुभव के कारण ही सम्भव हो सका। उस डॉक्टर ने पारम्परिक उपचार पर बल दिया। दवाओं को मरीज की आवश्यकता के अनुसार दिया जाना चाहिए। कोई भी दवा प्रत्येक मरीज के लिए अनुकूल नहीं होती। दवाओं के अनावश्यक प्रयोग से उनके प्रतिकूल प्रभाव की आशंका रहती है। इस बारे में मरीजों में जागरूकता प्रसारित की जानी चाहिए। उन्हें अपना खान पान तथा दिनचर्या नियमित करने की सलाह भी दी जानी चाहिए। ताकि वह अंदर तथा वाह्य दोनों रूप से स्वस्थ दिखें। नियमित दिनचर्या आरोग्यता की पहला लक्षण है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति करते हुए लोगों को फैसिलिटेट करने का काम किया गया है। प्रदेश में 05 करोड़ 11 लाख लोगों को आयुष्मान भारत के गोल्डन कार्ड प्रदान किये गये हैं। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को आयुष्मान भारत के अन्तर्गत 05 लाख रुपये तक की निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से जरूरतमन्दों के गम्भीर रोगों के उपचार के लिए बिना भेदभाव धनराशि की व्यवस्था की जाती है।
संस्थान के प्राध्यापकगण, रेजिडेंट डॉक्टर्स आदि का मरीजों तथा उनके अटेंडेंट के साथ व्यवहार बहुत मायने रखता है। डॉक्टर को क्षेत्र विशेष का विशेषज्ञ होने के साथ-साथ संवेदनशील होना आवश्यक है। यदि वह इन गुणों से परिपूर्ण है तो आम जनता के मन में आपके प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव होगा। आपको इस सम्मान के लिए स्वयं को तैयार करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्थान को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा अन्य चिकित्सीय संस्थानों के साथ समन्वय से कार्य करना चाहिए। एक दूसरे को टेली कंसल्टेशन की सुविधा से जोड़ना चाहिए। समय-समय पर चिकित्सकों को भी एक दूसरे के यहां भेजा जाना चाहिए, ताकि आपस में ज्ञान व अनुभव का आदान-प्रदान हो सके। संस्थान को इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन से भी संवाद बनाना चाहिए। इसके अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन के अनुरूप आज उत्तर प्रदेश एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज की दिशा में तेजी के साथ अग्रसर है। पहली बार केन्द्र व राज्य सरकार ने पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल कॉलेज बनाने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है। इस सत्र में ऐसे चार मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हुए हैं। अन्य 06 मेडिकल कॉलेज में भी एडमिशन हुए हैं। एस0जी0पी0जी0आई0, आर0एम0एल0आई0एम0एस0 तथा अन्य चिकित्सा संस्थान अच्छी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आगामी कुछ वर्षों में प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी नहीं रहेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें टीम वर्क की भावना के साथ कार्य करना चाहिए। आर0एम0एल0 आयुर्विज्ञान संस्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश का गेटवे है। पूर्वी उत्तर प्रदेश आज से 07 वर्ष पूर्व इंसेफेलाइटिस की बीमारी से ग्रस्त था। 15 जुलाई से 15 नवम्बर के बीच में वहां इस बीमारी से 1200 से 1500 बच्चों की मृत्यु होती थी। केवल गोरखपुर के बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज में 500 से 700 बच्चों की मौत होती थी। यह क्रम 40 वर्षों से चल रहा था। विगत 40 वर्षों में 50 हजार से अधिक बच्चों की मृत्यु हुई। इन बच्चों की मृत्यु का कारण स्वास्थ्य व स्वच्छता आदि की सुविधाओं तथा आपसी समन्वय का अभाव था। पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित होने के कारण, लखनऊ के चिकित्सालयों पर अधिक लोड पड़ता था।
उन्होंने कहा कि वह जब वर्ष 1998 में गोरखपुर के सांसद बने तो उनके सामने यह बहुत बड़ी चुनौती थी। प्रदेश में इंसेफेलाइटिस के उन्मूलन के लिए उन्होंने सांसद के रूप में सड़क से लेकर सदन तक आन्दोलन भी किया। वर्ष 1998 से 2017 तक इस मुद्दे को संसद के प्रत्येक सत्र में उठाया। प्रधानमंत्री जी ने इंसेफेलाइटिस की समस्या के समाधान के लिए ही गोरखपुर में एम्स स्थापित कराया था। इस बीमारी से लड़ने के लिए बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक तथा वायरल रिसर्च का रीजनल सेण्टर बना।
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का दायित्व मिलने के बाद सबसे पहला काम अन्तर्विभागीय समन्वय बनाने का किया। स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। अन्तर्विभागीय समन्वय के माध्यम से जब स्वास्थ्य, नगर विकास, पंचायती राज, बेसिक शिक्षा आदि अन्य सभी विभागों ने मिलकर कार्य किया, तो जुलाई, 2017 में अभियान प्रारम्भ कर मात्र 02 वर्षों में वर्ष 2019 में इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया। यह एक सफलतम मॉडल है। इसका स्टडी पेपर तैयार किया जाना चाहिए। इसी मॉडल का परिणाम है कि कोविड कालखण्ड में उन्होंने प्रदेश में सभी विभागों को शामिल कर टीम-11 का गठन किया था, जो तकनीक का उपयोग करके सभी को सक्रिय कर आवश्यकतानुसार कार्य कर सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान के परिणामस्वरूप डेंगू, मलेरिया तथा कालाजार आदि बीमारियां नियंत्रित की जा चुकी हैं। सभी विभागों ने अपने-अपने कार्य किये। स्वास्थ्य विभाग ने इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेण्टर का निर्माण, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर्स की तैनाती व प्रशिक्षण एवं आशा वर्कर तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के प्रशिक्षण पर, संचारी रोगों के विरुद्ध डोर टू डोर जाकर अभियान चलाने, संचारी रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए ‘108’ एम्बुलेंस चलाने, नगर विकास विभाग ने साफ-सफाई और स्वच्छ पेयजल, शिक्षा विभाग ने जन जागरूकता, ग्राम विकास विभाग ने ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति, पंचायती राज विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता के विशेष अभियान, महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषाहार की उपलब्धता पर ध्यान दिया, तो परिणाम आज हम सबके सामने है।
बेहतर समन्वय तथा संवाद के कारण आज वहां खुशहाली का माहौल है। अनेक बच्चों का जीवन बचाया गया है। बच्चे हमारे प्रदेश व देश की धरोहर हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करना उनका व प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। उन्हें फैसिलिटेट करना सरकार का दायित्व है। चिकित्सक सरकार के तंत्र के रूप में काम करते हैं, जरूरतमन्दों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना आपका काम है। लोगों को सही समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि छोटी सी अवधि में एक अस्पताल संस्थान के रूप में विकसित होकर नई सम्भावनाओं को आगे बढ़ा रहा है। इस सकारात्मक पहल को और तेजी के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आज संस्थान में हुए अन्य विकास कार्यों का लोकार्पण किया गया है। इसके माध्यम से चिकित्सालय से जुड़े प्राध्यापक, चिकित्सक, विद्यार्थी तथा मरीज लाभान्वित होंगे। आपके कार्य ही आपकी पहचान बनने चाहिए। यह संस्थान अपनी पहचान अपने कार्यों के माध्यम से बनाएगा। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सफलता के दो रास्ते होते हैं। एक समस्या तथा दूसरा समाधान है। समस्या के समाधान पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक तथा चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह ने स्वागत उद्बोधन किया। डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो0 सी0एम0 सिंह ने संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, संस्थान के फैकल्टी मेम्बर्स, विद्यार्थी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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