अनेक कालजयी ग्रन्थों के रचनाकार डॉ. सभापति मिश्र का निधन
लखनऊ, हिन्दी साहित्य के मूर्धाभिषिक्त विद्वान , अनेक कालजयी ग्रन्थों के रचनाकार , डॉ. सभापति मिश्र , डी. लिट् , पूर्व प्राचार्य , हंडिया पोस्टग्रेजुएट कालेज , हंडिया, प्रयागराज का ब्रेन हैमरेज होने के कारण गोलोकवास हो गया है । विगत१८ दिन तक मेदान्ता हास्पिटल , लखनऊ में भर्ती रहे । डॉ सभापति मिश्र डी०लिट्० की अब तक 39 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 40वीं पुस्तक “मानस के राम - कथेतर प्रसंग”प्रकाशनाधीन है। उ०प्र०हिन्दी संस्थान द्वारा इन्हें “साहित्य भूषण” (रु 2.5लाख)सम्मान से अलंकृत किया गया । हिन्दुस्तानी एकेडमी के कार्यक्रम में पुस्तक “रघुनाथ - गाथा” पर वर्तमान-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ मिश्र को पुरस्कृत किया और रुपये 2.5लाख की धनराशि , अंगवस्त्रम् एवं “ तुलसी- सम्मान “से सम्मानित किया । उत्तर प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा “शिक्षक-श्री”(रु.50,000)सम्मान से अलंकृत किया गया। इसीप्रकार , अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों की एक श्रृंखला है। आपकी प्रकाशित रचनाओं में “राम चरित मानस में क्वचिद्न्यतोपि”, तुलसी का काव्य वैभव, तुलसी कथा रघुनाथ की, रामकथा - मंदाकिनी,राम कथा नये - संदर्भ में, ध्वनिसिद्धांत और मध्य युगीन हिन्दी काव्य, हिन्दी नाट्यसाहित्य में हास्य - व्यंग्य,घनआनंद की काव्य साधना,हिन्दी साहित्य का प्रवृत्तिपरक इतिहास व भारतीय काव्य शास्त्र एवं पाश्चात्य साहित्य चिंतन आदि ग्रंथ साहित्य- जगत् के इस्पाती दस्तावेज़ हैं। भैया के अनेक ग्रंथ कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सन्दर्भ- ग्रंथ के रूप में संलग्न हैं । आपके निर्देशन में लगभग ४५ शोधकर्ताओं को पीएच . डी. की उपाधि मिल चुकी है ।हिन्दी साहित्य जगत की आज जहां एक ओर अपूरणीय क्षति हुई है। नूतन कहानियां कार्यालय में शोक सभा में दिवंगत आत्मा के प्रति शोक व्यक्त किया गया।