सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ़ नस्तर का काम करती है अनिता रश्मि की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर




लघुकथा का पंच लाइन तेजाबी छुअन के जैसा होना चाहिए : निर्मल कुमार दे 


  पटना l 17/09/24  आज लघुकथाएं अधिक लिखी और पढ़ी जा रही हैं,  इसमें कहीं, कोई दो मत नहीं l लघुकथा की पुस्तकें भी अन्य विधाओं की अपेक्षा अधिक प्रकाशित हो रही हैं, इसे भी स्वीकार करने में जरा भी हिचक नहीं होती l किंतु इन लघुकथा पुस्तकों में बहुत कम ऐसी लघुकथा पुस्तकें हैं, जो लघुकथा की आकारीय विशिष्टता को रेखांकित करते हुए, पाठकों के हृदय में रच-बस पाती हैं l  अधिकांश रचनाकार लघुकथा और लघु कहानी के अंतर को ही नहीं समझ रहे हैं और ऐसी रचनाओं को पुस्तक के आकार में ढाल रहे हैं l लघुकथा के प्रति रचनाकारों को और सतर्क होने की आवश्यकता है l

             भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, गूगल मीट के माध्यम से, यूट्यूब चैनल पर आयोजित 'ऑनलाइन हेलो फेसबुक लघुकथा के प्रथम सत्र का संचालन करते हुए, संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l

       अपनी डायरी प्रस्तुत करते हए, उन्होंने कहा कि अनिता रश्मि एक बेहतरीन लघुकथा लेखिका के रूप में उभर कर हमारे सामने आयी हैं। उनके द्वारा लिखी गई लघुकथाओं का संग्रह की समीक्षा भी मैंने किया है, जिसमें उनकी  ढेर सारी, ऐसी लघुकथाएं हैं, जो लघुकथा की एक नई परिभाषा गढ़ने में सक्षम दिखाई पड़ती हैं l सामाजिक विसंगतियों  के खिलाफ़ नस्तर का काम करती है अनिता रश्मि की लघुकथाएं l

     मुख्य अतिथि वरिष्ठ लेखिका अनिता रश्मि ने एकल लघुकथा पाठ में अपनी पांच लघुकथाओं को प्रस्तुत करते हुए कहा  कि लघुकथा के संदर्भ में, मैं कह सकती हूं कि कम शब्दों में मारक क्षमतायुक्त लघु आकारीय ऐसी कहानी, जिसमें क्षण विशेष पर ध्यान देना आवश्यक है l कथा तत्व हो, कथ्य सुस्पष्ट। शीर्षक चुंबकीय आकर्षणयुक्त और पंच लाइन मारक हो। 

     हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन की संगोष्ठी में शामिल सभी रचनाकारों की लघुकथाओं  की  समीक्षा करते हुए लघुकथा कलश पत्रिका के संपादक एवं  लघुकथा के पुरोधा योगराज प्रभाकर जी ने कहा कि लघुकथा में अनावश्यक विस्तार और लाउड से रचना के तेवर कमजोर पड़ जाते है। मुख्य अतिथि अनिता रश्मि ने अपनी पाँच लघुकथाओं का वाचन किया। सभी ने उनकी रचनाओं की सराहना की। सिद्धेश्वर जी अपनी संक्षिप्त डायरी में कहा कि सभी रचनाकारों को एक दूसरे की लघुकथा को पढ़कर टिप्पणी देनी चाहिए। 

     संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए चर्चित लघुकथाकार निर्मल कुमार दे ने कहा कि आज अधिकांश रचनाकारों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं को प्रस्तुत किया है l यह मंच सही मायने में लघुकथा के लिए एक पाठशाला है और विख्यात लघुकथाकार सिद्धेश्वर जी निःस्वार्थ भाव से इस पाठशाला को तथा ऑनलाइन लघुकथा सम्मेलन को, ऐतिहासिक स्वरूप दे रहे हैं l 

 उन्होंने कहा कि आज लघुकथा साहित्य की सबसे लोकप्रिय विधा बन गई है और इसकी लोकप्रियता दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

           मुख्य अतिथि अनीता रश्मि ने अपनी पांच लघुकथाओं का पाठ किया l इसके बाद निर्मल कुमार दे , ऋचा वर्मा, अनिल कुमार जैन, मीना सिंह, मनोरमा पंत, पूनम वर्मा, पुष्प रंजन , राज प्रिया रानी, डॉ अनुज प्रभात , निर्मल कर्ण आदि ने भी लघुकथाओं का पाठ किया तथा इस चर्चा में इन रचनाकारों के अतिरिक्त गार्गी राय, रजनी श्रीवास्तव अनंता,, रश्मि श्री, बीना,  प्रभात, पुष्पा पांडेय, फिरोज, सिम्मी आदि ने भी महत्वपूर्ण भागीदारी  निभाई l आज के कार्यक्रम का संचालन सिद्धेश्वर एवं ऋचा वर्मा ने किया ।

- प्रस्तुति : बीना गुप्ता 



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