बज्जिका भाषा समिति की पांच सूत्री मांगों के लिए धरना
मुजफरपुर ( बिहार )। बज्जिका भाषा संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से 5 सूत्री मांगों को लेकर 01 अक्टूबर को जिला समाहरणालय मुजफ्फरपुर के परिसर में एक दिवसीय धरना स्वंर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा एवं बज्जिका भाषा की लेखिका डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव के नेतृत्व में किया गया ।
बज्जिका भाषा संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा 5 सूत्री मांगो के समर्थन में धरना बज्जिका भाषा संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा मुजफ्फरपुर समाहरणालय परिसर स्थित अनशनस्थल पर पूज्य महात्मा गांधी और स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जयंती के पूर्व संध्या पर पांच सूत्री मांगो के समर्थन में अयोजित धरना के माध्यम से धरनार्थिगण महामहिम राष्ट्रपति महोदया से मांग करते हुए भारत सरकार और बिहार सरकार को निर्देशित कर साढ़े तीन करोड़ बज्जीकांचल वासियों की मांगों को शीघ्र पूरा करने के लिए मांग रखी। पांच सूत्री मांगों में बज्जिका भाषा को संविधान के अस्ठम अनुसूची में शामिल किया जाए। भारत सरकार द्वारा किए जानें वाले राष्ट्रीय जनगणना में बज्जिका भाषा के लिए “जनगणना कोड” निर्धारित किया जाए। बिहार के महामहिम राज्यपाल महोदय और बिहार सरकार को निर्देश दिया जाए की बज्जिका भाषा के लिए बज्जिका अकादमी का शीघ्र गठन करें। बिहार के बज्जीकांचल क्षेत्र के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में हमारी मातृभाषा बज्जिका की पढ़ाई शीघ्र प्रारंभ की जाए। बिहार सरकार द्वारा पूर्व से घोषित पांचवी कक्षा तक मातृभाषा बज्जिका की पढ़ाई शीघ्र प्रारंभ की जाए। धरनार्थी डॉक्टर ऊषा किरण श्रीवास्तव ने बताया कि बज्जिका भाषा बिहार के बज्जीकांचल क्षेत्र की मातृभाषा हैं तथा भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजभाषा हैं। बज्जीकांचल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र राकेश ने बताया कि भारत में बिहार राज्य के वैशाली,मुजफ्फरपुर,दरभंगा,समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर पूर्णतः पूर्वी चंपारण और सारण के अनेक प्रखंड में अंशतः बोली जानें वाली लगभग साढ़े तीन करोड़ बज्जीकांचल वासियों की मातृभाषा हैं।ग्राम वार्ड निर्माण समिति के अध्यक्ष आनंद पटेल ने बताया कि बज्जिका भाषा प्राचीन बज्जी गणराज्य की भाषा रही हैं जो लोक तंत्र की जननी वैशाली के रुप में आज विश्व में प्रतिस्थापित हैं परंतु वर्तमान में भारत सरकार तथा बिहार सरकार द्वारा उपेक्षित हैं। साई सेवादार अविनाश कुमार ने बताया कि हमारी मातृभाषा बज्जिका को देश के अन्य भाषाओं की तरह मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिले यह हम सभी बज्जीकांचल वासियों की मांग हैं। कठपुतली कलाकार सुनील सरला ने ये वक्त के आवाज हई बज्जिका बचाव, ये जिंदगी का राज हई मातृभाषा बचाव, बज्जिका भाषा में गंगा गीत, बज्जिका का प्रसिद्ध लोक गीत गाछी में कुहके कोयलिया हो तनी हुनका बुलाव, बज्जिका के बिगुल फूंकबई गीत के माध्यम पांच सूत्री मांगो को समर्थन दिया। धरनास्थल पर मुख्य रूप से डॉ. उषा किरण श्रीवास्तव,सुनील कुमार, डॉ. मनोज कुमार सिन्हा,बज्जीकांचल विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र राकेश, आनंद पटेल, साई सेवादार अविनाश कुमार, रघुनाथ मोहब्बबतपुरीया , मोहन सिन्हा, डॉ.अमित कुमार मौजूद हुए ।