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राजधानी के ग्रामीण क्षेत्र निगोहां में है, बजरंगबली का 300 वर्ष प्राचीन मंदिर

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सनातन धर्म में गाय माता का विशेष महत्व हैै। गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। राजधानी के ग्रामीण क्षेत्र निगोहा के उतरावां गांव में एक ऐसा 300 वर्ष प्राचीन श्री हनुमान मंदिर है, जिसमें हनुमान जी के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ-साथ बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते है। मंदिर प्रांगण में ही शिवालय भी बना हुआ है जो काफी जर्जर अवस्था में आ चुका है। हनुमान जी की मूर्ति और शिवालय की गुम्बद व दीवारों की स्थिति को देखकर मंदिर की प्राचीनता आसानी से जानी जा सकती हैं। राजधानी के ग्रामीण क्षेत्र निगोहां से लगभग 12 किमी0 अंदर उतरावां गांव है। इस गांव में 300 वर्ष पूर्व एक संत जिन्हें लोग बाबा जगन्नाथ दास के नाम से जानते थे, आये। उस समय इस गांव में बहुत सीमित घर थे और आबादी भी बहुत कम थी, चारों तरफ जंगल था। यह महात्मा गांव में ही रहने लगे और पेड़ पर बैठकर अक्सर बासुंरी बजाते थे और गाय का दूध पीकर हरि नाम संकीर्तन करते हुए जीवन यापन करते थे। बाबा जगन्नाथ दास जी ने उसी दौरान गाय के गोबर व मिट्टी को मिलाकर श्री हनुमान जी की प्रतिमा ब

जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी द्वारा शोक सभा

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जम्मू 31 मई, 2023 जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी, जम्मू द्वारा हिंदी, संस्कृत और डोगरी साहित्यकार पदमश्री प्रोफेसर वेद कुमारी घई और श्रीमती की स्मृति में एक शोक सभा का आयोजन किया गया था। रक्षा शर्मा (डोगरी साहित्यकार स्वर्गीय यश शर्मा की पत्नी) केएल सहगल हॉल, जम्मू में।शोक सभा में अकादमी के अधिकारियों व कर्मचारियों ने दोनों को श्रद्धांजलि दी व्यक्तित्व और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। शोक सभा में जेकेएएसीएल के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. सुधीर महाजन, प्रधान संपादक गोजरी डॉ. जावेद राही, संपादक डोगरी और हिंदी डॉ. रतन बसोत्रा और संपादक पंजाबी पोपिंदर सिंह ने दोनों शख्सियतों से अपने अनुभव साझा किए। अन्य लोगों में डॉ शाहनवाज चौधरी, श्रीमती। रीता खद्याल, यशपाल निर्मल, दीपिका अबरोल, राम राज, रोमेश सिंह, रुबन कुमार, किशोर कुमार, आशुतोष शर्मा, करण तारगोत्रा, संजय मेहता, पुरुषोत्तम लाल, विपन कुमार, विमल कुमार, लोकेश चंदर, पंकज शर्मा, शाम लाल राकेश कौल, घारा राम उपस्थित थे।

अहमदनगर जिले का नाम अहिल्या देवी होल्कर के नाम रखा जाएगा - मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की घोषणा

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नई‍ दिल्ली 1 : पुण्यश्लोक अहिल्या देवी ने सुशासन की मिसाल पेश की है। उन्होंने भारत को प्रशासनिक संरचना का एक महान उपहार दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को अहमदनगर जिले का नाम अहिल्या देवी होल्कर के नाम पर रखने का फैसला सरकार ने लिया। तहसील जामखेड के चौंडी में पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर की 298वीं जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री. शिंदे बोल रहे थे। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राजस्व, पशुपालन, डेयरी विकास मंत्री और जिला संरक्षक मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, सांसद सदाशिवराव लोखंडे, सांसद डॉ. सुजय विखे पाटिल, विधायक प्रो. राम शिंदे, मोनिकाताई राजळे, बबनराव पचपुते, गोपीचंद पडळकर, सुरेश दास, पूर्व सांसद विकास महात्मे और पूर्व विधायक भीमराव धोंडे, अन्नासाहेब डांगे, बाळासाहेब मुर्कुटे, लक्ष्मणराव ढोबले, पोपटराव गावड़े आदि उपस्थित थे। सर्वप्रथम मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री सहित उपस्थित गणमान्य लोगों ने पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर की प्रतिमा पर पुष्प माला चढ़ाकर प्रणाम किया। गणमान्य लोगों ने क्षेत्र में स्थापित मूर्तियों का भी निरीक

अहिल्या देवी होल्कर ने एक न्यायोचित शासन प्रणाली का निर्माण किया - उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

उपमुख्यमंत्री श्री. फडणवीस ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की ज्योति जलाई। हमारे आत्मभिमान, आत्मविश्वास व आत्मसन्मान को जागृत कर हिंदुवी स्वराज को बढ़ाया। पुण्यश्लोक अहिल्या देवी ने अपने कार्यों से पूरे देश में हिन्दू स्वराज्य का विस्तार किया। न्यायप्रिय शासन व्यवस्था की स्थापना ,कर आमजन के जीवन में परिवर्तन लाने का कार्य किया। अहिल्या देवी होल्कर का शासन परिवर्तनकारी और प्रगतिशील था। पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर ने उस दौरान एक न्यायपूर्ण शासन व्यवस्था बनाई । राज्य में अधोसंरचना का भी निर्माण किया और दहेज बंदी,शराब बंदी के प्रति लोगों को जागरूक किया। उसी दौर में देश भर में विभिन्न मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने का श्रेय भी उनाको जाता है। राज्य सरकार ने चरवाहों के लिए ऋण योजना को मंजूरी दी और मानसून के मौसम में उनके लिए चारागाह भूमि आरक्षित करने का निर्णय लिया।राज्य में धनगर बस्ती को मुख्य सड़कों से जोड़ने के लिए बजट में प्रावधान किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि धनगर समुदाय के लोगों के लिए हर साल 25 हजार घर बनाने का निर्णय लिया गया है.

हिंदी पत्रकारिता की 197वीं वर्षगांठ पर सुरेंद्र अग्निहोत्री हेरम्ब मिश्र रंगभारती सम्मान से सम्मानित

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हिंदी पत्रकारिता की 197वीं वर्षगांठ पर अनेक पत्रकार सम्मानित लखनऊ। हिन्दी पत्रकारिता की 197वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को गोमतीनगर के बौद्ध शोध संस्थान के प्रेक्षागार में हिन्दी पत्रकारिता दिवस समारोह आयोजित किया गया। इसमें लंबे समय तक हिंदी पत्रकारिता की अलख जगाने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया गया। महंत देव्या गिरि और सुधीर हलवासिया ने इन्हें सम्मानित किया। आयोजन अखिल भारतीय हिंदी पत्रकार संघ तथा रंगभारती की ओर से किया गया। रंगभारती के अध्यक्ष श्याम कुमार ने बताया कि आज ही के दिन 196 साल पहले कोलकाता से हिंदी के पहले समाचार पत्र उदंत मार्तंड का प्रकाशन युगल किशोर शुक्ल ने शुरू किया था। प्रयागराज लंबे समय तक हिंदी पत्रकारिता को सिंचित करने वाला स्थल रहा। हिंदी पत्रकारिता की एक विशेषता इसका अन्य भाषाओं के पत्रकारों के माध्यम से विकास होना भी रहा। आयोजन के दौरान इन्हें किया गया सम्मानित ■ शंकर दयालु श्रीवास्तव रंगभारती सम्मान- प्रमुख मीडिया संस्थान बाबूराव विष्णु पराड़कर रंगभारती सम्मान-अच्युतानंद मिश्र लक्ष्मीनारायण गर्दे रंगभारती सम्मान- ज्ञानेंद्र शर्मा, जगदम्बा प्रसाद शुक्ल रामकृष्

डॉ. सुनील परीट को पिताश्री सम्मान

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बेंगलुरु - प्रेरणा साहित्य मंच द्वारा डॉ सुनील कुमार परीट जी को साहित्यिक, शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रेरणा पिताश्री राधा रमण प्रसाद स्मृति सम्मान 2023 से सम्मानित किया। यह सम्मान संस्था की संस्थापिका एवं अध्यक्षा डॉ वीणा गुप्ता मेदनी जी के पिताश्री के स्मरणार्थ दिया जाता है। सम्मान में स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, ग्यारह सौ रुपए, अंग वस्त्र, माला एवं पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकारा रविंदर कौर, मुख्य अतिथि डॉ सुचित्रा कॉल मिश्रा, विशिष्ट अतिथि डॉ इंदु झुनझुनवाला, मगसम के राष्ट्रीय संयोजक श्री सुधीर सिंह सुधाकर, डॉ मलकप्प अलियास महेश, नंद सारस्वत स्वदेशी, श्रीमती सुमन परीट आदि अतिथि गण कार्यक्रम में उपस्थित थे। ज्ञात होगा डॉ परीट जी को कर्नाटक सरकार ने राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया है। वह लगभग 20 सालों से अहिंदी प्रदेश कर्नाटक में हिंदी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

“नगर निगम आर्ट गैलरी को आमजनमानस के लिए खोलने और उसके प्रचार प्रसार पर विशेष ध्यान देने की अपील”

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उत्तर प्रदेश में आधुनिक कला आंदोलन के अग्रणी रहे कलाकार आचार्य मदन लाल नागर की जन्मशती के अवसर पर विशेष अपील। - सम्बंधित पत्र के माध्यम से वर्तमान लखनऊ महापौर को विस्तृत जानकारी दी गयी, महोदया ने जल्द विचार करने का आश्वासन भी दिया। लखनऊ, 31 मई 2023, प्रदेश के प्रसिद्ध चित्रकार कलागुरु मदनलाल नागर (5 जून 1923 - 27 अक्टूबर 1984) की यह वर्ष जन्मशती वर्ष है। श्रद्धेय नागर का जन्म 5 जून 1923 को लखनऊ के सबसे पुराने क्षेत्र चौक में हुआ था । सिर्फ लखनऊ ही नहीं बल्कि देश के आधुनिक कला जगत में मदन लाल नागर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कला शिक्षा में आधुनिक चेतना के आग्रही नागर जी के ऐसे शिष्य जिन्होंने कला जगत को अपनी कला से समृद्धि प्रदान की, ऐसे कलाकारों की बड़ी संख्या है। किन्तु नयी पीढ़ी को उनके योगदान से अवगत कराते रहना हम सभी का सामूहिक दायित्व है। इसी संदर्भ में बुधवार को युवा चित्रकार, क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने एक विस्तृत पत्र के साथ लखनऊ नगर निगम की नव निर्वाचित माननीय महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल से उनके ऑफिस मे मुलाक़ात की। सम्बंधित पत्र के माध्यम से वर्तमान लखनऊ मह

नये संसद भवन का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री

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नये संसद भवन का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री Narendra Modi सेंगोल की पूजा-अर्चना करने के बाद उसे प्रणाम करते हुए.नया संसद भवन संस्कृति व आधुनिक सपनों का संगम 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी ने रखी थी नींव बढ़ती जरूरतों के लिहाज से मौजूदा संसद भवन अपर्याप्त 64500 वर्ग मीटर में फैला चार मंजिला भवन 9500 किलो वजनी अशोक स्तंभ शिखर पर 971 करोड़ रुपए में हुआ है नए संसद भवन का निर्माण नए संसद भवन में लगे पत्थर राजस्थान के यूपी के मिर्जापुर का गलीचा लगाया गया लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर व स्टील संरचना दमन व दीव की सेंगोल लोकसभा स्पीकर के बगल में स्थापित होगा ओडुवर गाएंगे प्राचीन शिव भजन भवन में लोकसभा के 888 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था साथ ही राज्यसभा के 384 सदस्यों की भी बैठने की व्यवस्था लोकसभा कक्ष में 1280 सदस्य बैठ सकते हैं हर सीट पर डिजिटल सिस्टम और टच स्क्रीन फीचर दोनों सदनों में हर सीट पर दो सदस्यों की बैठने की व्यवस्था भवन में तीन मुख्य द्वार हैं ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं नाम

"नौजवानों में बढ़ती जा रही नशे की प्रवृत्ति"

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बांगरमऊ उन्नाव ।। एक तरफ जहां युवा वर्ग से देश को काफी आशाएं हैं, वहीं दूसरी ओर माता-पिता भी अपने जवान बेटों को देखकर उनसे काफी उम्मीदें लगाने लग जाते हैं। लेकिन अच्छे संस्कार न मिलने के कारण या गलत संगत के चलते कुछ युवा गलत आदतों के भी शिकार हो जाते हैं। जिसके चलते क्षेत्र में आजकल युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही है। क्षेत्र में स्थित शराब के ठेकों पर शाम में जब नशेडिय़ों की भीड़ जुटती है तो उसमें से आधी से ज्यादा युवा वर्ग की देखने को मिलती है। विशेष तौर पर इस युवा वर्ग में भी वे युवा शामिल है तो शिक्षित व धनाढय़ परिवार से संबंध रखते हैं। अगर यह कहा जाए कि युवा वर्ग में नशा करना एक फैशन की बात हो गई है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। अगर समय रहते युवा वर्ग में बढ़ती नशाखोरी पर कोई नियंत्रण नहीं रखा गया तो ये धारणा भविष्य के लिए खतरा बन सकती है। युवा वर्ग में नशा करने के बाद लड़ाई-झगड़ा करना भी एक आम बात हो गई है। क्षेत्र में जितने भी अपराध हो रहे हैं, उनमें ज्यादातर अपराधी युवा वर्ग से ही आते हैं, जो एक चिंता का विषय है। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की आबकारी नीति

स्वातंत्र्यवीर सावरकर

मृत्युंजय दीक्षित भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। विनायक के पिता का नाम दामोदर पंत तथा माता का नाम राधाबाई था। सावरकर जी चार भाई बहन थे। वीर सावरकर न केवल स्वाधीनता संग्राम सेनानी थे अपितु वे एक महान चिंतक, लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी व्यक्तित्व के धनी राजनेता भी थे। सावरकर जी की प्रारम्भिक शिक्षा नासिक में हुई थी। वे तेज बुद्धि के थे तथा उन्होंने बाल्यावस्था में ही गीता के श्लोक कंठस्थ कर लिए थे। ऐसी प्रखर मेधा शक्ति वाले शिष्य के प्रति शिक्षकों का असीम स्नेह होना स्वाभाविक ही था। जिन दिनों सावरकर बड़े हो रहे थे उन दिनों महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक के समाचार पत्र केसरी की भारी धूम थी वे उसे पढ़ते थे जिसके कारण उनके मन में भी क्रांतिकारी विचार आने लग गये। केसरी के लेखों से प्रभावित होकर उन्होंने भी कविताएं तथा लेख आदि लिखने प्रारम्भ कर दिये। सावरकर जी ऐसे पहले भारतीय थे जिन्होंने वकालत की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। लेकिन उन्होंने अंग्रेज सरकार की वफादारी की शपथ