श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिये ताकि जिन फेक्ट्री व प्राइवेट संस्थानों में श्रमिक कार्य करते हैं वहीं उनके रूकने आदि की व्यवस्था हो : बी.एस.पी.

नई दिल्ली, 9 मई 2020, दिन शनिवार : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने देश के वर्तमान हालात का गलत फायदा उठाकर श्रम कानून से अमानवीय छेडडाड़ पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज कहा कि कोरोना प्रकोप के बाद देश में जारी लम्बे लॉकडाउन से देश के करोड़ों मजदूरों/ श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे कानूनी तौर पर 8 के बजाए 12 घण्टे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था आदि पुन: देश में लागू करने का प्रयास अति-दु:खद व अति-दुर्भाग्यपूर्णसुश्री मायावती जी ने अपने बयान में कहा कि खासकर भारत जैसे देश में श्रम कानून में बदलाव हमेशा देश की रीढ़ श्रमिकों/मजदूरों व अन्य मेहनतकशों के व्यापक हित में होना चाहिये ना कि कभी भी उनके अहित में करना चाहिए, जबकि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 12 नहीं बल्कि 8 घण्टे श्रम व उससे ज्यादा काम लेने पर उन्हें ओवरटाइम देने की युगपरिवर्तनकारी काम तब किया था जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का हर प्रकार का शोषण चरम पर था। इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित होगा? अब तक दुनिया के लिए मिसाल भारत अब दुनिया के सामने अपना कौनसा चेहरा पेश करना चाहता है, इसे कोई कदम उठाने से पहले गंभीरता सोचने की जरूरत है। इतना ही नहीं बल्कि बी.एस.पी. की केन्द्र व राज्य सरकारों से भी विशेष अपील है कि देश में वर्तमान में कोरोना लॉकडाउन प्रभावित मजदूरों के जबर्दस्त पलायन की मजबूरी से उत्पन्न बदतर हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिये ताकि खासकर जिन फैक्ट्री व प्राइवेट संस्थानों में श्रमिक कार्य करते हैं वहीं उनके रूकने आदि की व्यवस्था जरूर होकिसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही आगे उन्हें पलायन की मजबूरी हो, ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहियेइसके अलावा, वैसे तो अभी फैक्ट्रीयों आदि के खुलने व वहाँ काम आदि शुरू होने का कुछ भी अता-पता नहीं है, परन्तु राज्य सरकारें बेरोजगारी व भूख से तड़प रहे करोड़ों श्रमिकों/मजदूरों के विरुद्ध शोषणकारी डिकटेट लगातार जारी करने में काफी तत्पर दिखाई पड़ती हैं, यह अति-दुखद व सर्वथा अनुचित जबकि इस कोरोना के संकट में इन्हें ही सबसे ज्यादा सरकारी मदद व सहानुभूति की जरूरत है। 


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