आन बान और शान तिरंगा

आन बान और शान तिरंगा

अपने मन और प्रान‌ तिरंगा।

देश आज आजाद सुरक्षित

है जिनके बलिदानों से,

जिसने देश की रक्षा की‌ है

तन मन धन और प्रानों से।

श्रद्धा के सब फूल चढ़ाकर

मस्तक अपना उन्हें नवाकर

हम आज गर्व से कहते हैं

हे अपना अभिमान तिरंगा।

आन बान और शान तिरंगा।

बर्फीली चट्टानों में और

सूरज के तपते गोलों में।

प्रलय पवन में, अंगारों ‌मे

अंधियारों में और शोलों में।

कैसे ही हालातों में और

कैसे ही जज्बातों में।

पवनपुत्र सा बढ़ जाता 

वह इन सारे उत्पातों में।

झेल झेल गोली बारुदें

खेल खेल गोली बारुदें।

प्राणों का उत्सर्ग करे जो

शत्रु शक्ति से नहीं डरे जो

नमन सदा है उन वीरों को

निर्भय रहकर सदा लड़े जो।

वीर जवानों की टोली ने

वंदेमातरम् की बोली ने।

सदा सदा परचम लहराया

है अपना उत्थान तिरंगा।

आन बान और शान तिरंगा।

शत्रु समूहों पर टूटे जो

प्रबल बेग अंगार लिये।

देश आज भावुक हैं फिर से

मन में श्रद्धा प्यार लिए।

हम नमन आज शत् शत् करते

उन रणबांकुरे जवानों को

मस्तक कफ़न बांध जो बढ़ते

उन, भारत मां की संतानों को।

श्रद्धा के सब फूल चढ़ाकर

मस्तक अपना उन्हें नवाकर

सदा गर्व से कहते हैं हम

है अपना अभिमान तिरंगा।

आन बान और शान तिरंगा

अपने मन और प्रान‌ तिरंगा।

आन बान और शान तिरंगा।

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