क्या अच्छा है....
जिंदगी से तंग होकर मर जाना अच्छा है
क्या काम कोई ऐसा कर जाना अच्छा है
हर दिन मुझे मुश्किलें परेशान करती है
क्या मेरा हारके उनसे डर जाना अच्छा है
इस ज़माने के लोग दो-मुँही बातें करते है
क्या उन्हें सुन,मेरा बिखर जाना अच्छा है
रिश्तों में कभी समझदारियाँ नहीं चलती
उनके इस्तेमाल से दूभर जाना अच्छा है
महफिलों की रौनक मुझे फीकी लगती है
मज़बूरी ना हो वहाँ,अगर जाना अच्छा है
आंधियों के दौर में हम चिराग़ लेकर चले
बच जाए तो अँधेरे संवर जाना अच्छा है
"उड़ता"अज़ीज़ के सदर जाना अच्छा है
सहेज लें ताल्लुक मगर जाना अच्छा है