बरसाती नदियां प्रदूषित का शिकार हो चुकी हैं तथा मरणासन्न हैं


देश का प्रतिष्ठित पत्रकारिता का ‘रजत की बूंदें’ राष्ट्रीय जल पुरस्कार आज दैनिक जागरण के डिप्टी न्यूज एडिटर अतुल पटेरिया को दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार यूनाइटेड नेशन्स डवलेपमेंट कार्यक्रम, नई दिल्ली के सर्कुलर इकोनाॅमी प्रमुख प्रभजोत सोढ़ी द्वारा उन्हीं के घर जाकर प्रदान किया गया। इस अवसर पर नीर फाउंडेशन के कार्यक्रम समन्वयक शुभम कौशिकव नीर फाउंडेशन के नदी कार्य प्रमुख राजीव त्यागी भी मौजूद रहे। अतुल पटेरिया को यह पुरस्कार उनके द्वारा देशभर में दैनिक जागरण के माध्यम से जल संरक्षण के विषयों को तथा अलग-अलग राज्यों में किए जा रहे अच्छे प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने तथा जल संबंधी विषयों को प्रमुखता से उठाने के लिए दिया गया है। 
नीर फाउंडेशन के निदेशक नदीपुत्र रमन कान्त त्यागी ने बताया कि देश में जिस प्रकार से वर्ष प्रतिवर्ष जल संकट गहराता जा रहा है, सतही व भू-जल प्रदूषित हो रहा है तथा छोटी व बरसाती नदियां प्रदूषित का शिकार हो चुकी हैं तथा मरणासन्न हैं। यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इस विषय पर जहां चिंतन-मनन व गहन शोद्ध की आवश्यकता है वहीं समस्या के समाधान हेतु जमीनी स्तर पर प्रयास अति-आवश्यक हैं। जल को संरक्षित करने, प्राकृतिक जल संरचनाओं को संवारने, प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने तथा नदियों को पुनर्जीवित करने के अच्छे प्रयास देशभर में जगह-जगह सामाजिक संगठनों द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन इन प्रयासों को प्रोत्साहन व सहयोग उस दर्जे का नहीं है जोकि होना चाहिए। इस विकल्प को भरने के उद्देश्य से नीर फाउंडेशन द्वारा एक प्रयास प्रारम्भ किया गया है। नीर फाउंडेशन स्वयं भी पिछले दो दशकों से पानी व नदियों के लिए सकारात्मक योगदान दे रहा है। इसमें अच्छे प्रयासों को वर्ष में एक बार राष्ट्रीय जल सम्मेलन का आयोजन करके उसमें गहन परिचर्चा किया जाना तथा कृछ बेहतरीन चुनिन्दा कार्यों को पुरस्कृत किया जाना शामिल है। पुरस्कार को ‘रजत की बूंदें’ नाम दिया गया है। रजत अर्थात चांदी। चांदी जैसे जल को संवारने के लिए प्रयासरत सभी सम्मान के पात्र हैं ऐसा नीर फाउंडेशन का मानना है। यह कार्य कई प्रकार से समाज में किया जा रहा है। कोई जमीन पर उतर कर लगा हुआ है, कोई पत्रकारिता के माध्यम से जागरूकता ला रहा है तो कोई साहित्य ऐसा रच रहा है जिससे जल संरक्षण के कार्य को प्रोत्साहन मिले। इसमें नदी, तालाब, कुएं व जल गांव भी शामिल हैं। इस पुरस्कार को सात श्रेणीयों में विभाजित किया गया है। वर्ष 2020 का ‘रजत की बूंदें’ राष्ट्रीय जल पुरस्कार अलग-अलग श्रेणियों में निम्नलिखत लोगों को मिलना तय हुआ है।
ऽ रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (जल संरक्षण) - श्री हीरालाल (आई0 ए0 एस0), उत्तर प्रदेश
ऽ रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (पत्रकारिता) - श्री अतुल पटेरिया (दैनिक जागरण, जल व पर्यावरण मामले), नई दिल्ली
ऽ रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (साहित्य) - सुश्री नीलम दीक्षित, महाराष्ट्र
ऽ नदी संरक्षण पुरस्कार - संत बलबीर सिंह सींचेवाल (निर्मल कुटिया) पंजाब
ऽ कुआं संरक्षण - श्री शिव पूजन अवस्थी (ऋषिकुल आश्रम), मध्य प्रदेश
ऽ तालाब संरक्षण - श्री विनोद कुमार मेलाना (अपना संस्थान), राजस्थान
ऽ आदर्श जल गांव - श्री उमा शंकर पाण्डेय (जलग्राम जखनी), उत्तर प्रदेश
उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार गत 22 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय जल सम्मेलन, नई दिल्ली में दिए जाने वाले थे लेकिन उससे पहले लोकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया। अवार्ड के लिए कोई कार्यक्रम करना अभी भी संभव नहीं है इसीलिए यह राष्ट्रीय जल सम्मेलन आगामी 26 जुलाई, 2020 को वेबिनार के माध्यम से किया जाना तय हुआ है। अब राष्ट्रीय जल सम्मेलन आगामी 26 जुलाई, 2020 को वेबिनार द्वारा किया जाएगा। इसमें स्वामी चिदानन्द (संस्थापक, परमार्थ निकेतन), पदमभूषण डाॅक्टर अनिल जोशाी (संस्थापक, हैस्को), श्री राकेश जैन (सह-प्रभारी, पर्यावरण गतिविधि आर0एस0एस0), नीतिश्वर कुमार (संयुक्त सविच, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार), मेरठ प्रांत पर्यावरण प्रमुख श्री रामअवतार  तथा सभी अवार्डी श्री हीरा लाल, श्री अतुल पटेरिया, सूश्री नीलम दीक्षित, अपना संस्थान के श्री विनोद मेलाना, पदमश्री संत बलबीर सिंह सींचेवाल (निर्मल कुटिया), ऋषिकुल आश्रम के श्री शिवपूजन अवस्थी, जलग्राम जखनी के उमा शंकर पाण्डेयव अनेक राज्यों से विषय विशेषज्ञ भी जुडेंगे। 


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