उत्तर प्रदेश कोरोना संक्रमण के साथ राजनीतिक संक्रमण से भी जूझ रहा -अखिलेश यादव

लखनऊ दिनांक-10.06.2021 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश कोरोना संक्रमण के साथ राजनीतिक संक्रमण से भी जूझ रहा है। भाजपा सरकार के कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में अब मुख्यमंत्री जी का नियंत्रण भी ढीला पड़ता जा रहा है। जिस तरह से दिल्ली-लखनऊ के बीच तनातनी के संकेत हैं उससे लगता है कि जो दिख रहा है वह अगले संकट का संकेत है। सरकार नाकाम है और मुख्यमंत्री जी निष्क्रिय फिर भी दिल्ली की दौड़ किस लिए हो रही है राज्य की जनता सच्चाई से परिचित है। कोरोना संक्रमण की संख्या आंकड़ो में भले हेराफेरी से कम हो गई है लेकिन अभी भी अस्पतालों में और घरों में संक्रमित कम नही है। खुद पीजीआई की सर्वे रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 80 प्रतिशत मरीजों के साइनस पर फंगस हमला कर रहा है। फंगस के समुचित इलाज की सुविधाएं अभी भी अपर्याप्त हैं। कोरोना संक्रमितों में अब दूसरी बीमारियों के लक्षण भी दिखाई पड़ने लगे हैं। मरीज तड़प रहे हैं। डाक्टर अपने प्रशासनिक अधिकार छीने जाने से परेशान है, संविदा पर नियुक्त पैरामेडिकल स्टाफ शटल बने हुए है। विशेषज्ञ बता रहे है कि तीसरी लहर भी आने वाली है। बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं जताई जा रही है। टीकाकरण की रफ्तार धीमी है। वैक्सीन के वितरण को लेकर राज्यों-केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर दौरा चल चुका है। प्रदेश को हरेक को मुफ्त टीका लगाने का प्रचार तो जोरशोर से किया गया है लेकिन आनलाइन-आफलाइन के झमेले में गांव वाला परेशान है। प्रदेश की आबादी को देखते हुए टीकाकरण की गति बड़ी धीमी है। भाजपा राज में सिर्फ द्वेषवश समाजवादी सरकार के समय प्रारंभ की गई स्वास्थ्य सुविधाओं को बर्बाद किया गया। यद्यपि जब कोरोना की आफत आई तो वही व्यवस्थाएं काम आई। लखनऊ में कैंसर अस्पताल, अवध शिल्प ग्राम के अलावा उस समय बने मेडिकल कालेज तथा एम्बूलेंस सेवा से ही भाजपा सरकार को काम चलाना पड़ा। कन्नौज मेडिकल कालेज में समाजवादी सरकार के समय निर्मित कार्डियोलाजी हास्पीटल की शानदार बिल्डिंग में ताला लगा हुआ है। हृदय रोगी दूसरी जगह उपचार कराने को मजबूर है। प्रदेश में एक भी नया मेडिकल कालेज न बना पाने वाली भाजपा सरकार अब कौन से तीर मार लेगी जबकि उसके कुशासन के खात्मे के चार दिन बचे हैं। इसमें भी दो राय नहीं कि भाजपा ने राजनीतिक संक्रमण फैलाने में कम योगदान नहीं किया है। शासन प्रशासन को साम्प्रदायिक आधार पर चलाने का कुप्रयास भाजपा सरकार ने किया है। इस सरकार ने बदले की भावना से विपक्षी नेताओं के खिलाफ निंदा अभियान चलाकर अपनी घटिया मानसिकता प्रदर्शित की है। भाजपा राज में कोरोना एक्ट की सारी कार्यवाही विपक्ष और आम जनता के लिए है। कोरोना प्रोटोकाल तोड़ने वाले भाजपा नेताओं के सामने प्रशासन अंधा बना रहा। मेरठ में भाजपा मण्डल मंत्री ने तो बाकायदा, होर्डिंग लगाकर जनता को सुझाव दिया कि ‘‘यदि आप स्वस्थ्य हैं तो मास्क न लगाएं‘‘। जनता को गुमराह करने वालो पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। अपनी साख बचाने को जीवन से खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार के प्रबंधन का पाखंड भी सबके सामने आ गया है। संघातक बीमारियों के विशेषज्ञ इलाज की व्यवस्था अभी तक सामने नहीं आई है। अंदाज से प्रयोग हो रहे हैं भविष्य में आने वाले संक्रमण से बचाव की तैयारियां फाइलों में ज्यादा, जमीन पर कम दिख रही है। मुख्यमंत्री जी को उनके अफसर हकीकत से रूबरू कराने से बचते हैं क्योंकि वे भी जानते हैं कि प्रदेश में भाजपा के विरोध और समाजवादी पार्टी के पक्ष में लहर 2022 का संकेत है।

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