स्मृति शेष पारसनाथ पाठक प्रसून की स्मृति में पारस बेला न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय " प्रसून साहित्य उत्सव - 2024 "का भव्य शुभारम्भ

 


डॉ अनिल कुमार पाठक की दो कृतियों का लोकार्पण

लखनऊ,शिक्षाविद एवं कवि स्मृति शेष पारसनाथ पाठक प्रसून की स्मृति में पारस बेला न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय " प्रसून साहित्य उत्सव - 2024 " में हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार स्व.  सुरेश सलिल, डॉ राम दरश मिश्र,नरेश सक्सेना, सोम ठाकुर, डॉ विद्या विंदु सिंह तथा अष्टभुजा शुक्ल को पारस शिखर सम्मान से विभूषित किया गया है। स्व.  सुरेश सलिल का सम्मान उनके सुपुत्र संगम पांडेय द्वारा ग्रहण किया गया जबकि डाक्टर राम दरश मिश्र एवं नरेश सक्सेना जी को उनके घर पर जाकर दिया जाएगा l समारोह में इसके बाद कवि, लेखक एवं दर्शन शास्त्र के अध्येता डॉ अनिल कुमार पाठक की दो काव्य कृतियों प्राण मेरे तथा बचपन से पचपन का लोकार्पण किया गया। उप्र संगीत नाटक अकादमी, गोमती नगर के संत गाडगे सभागार में आयोजित इस समारोह में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य सचिव डॉ शम्भु नाथ रहे तथा अध्यक्षता हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक एवं पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित ने की ।


समूचा प्रसून साहित्य उत्सव उनकी पितृ भक्ति का अविरल उदाहरण है-आचार्य सूर्य प्रसाद दीक्षित

 


 कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि इस समारोह के तीन महत्वपूर्ण पक्ष है एक तो हिंदी के छः वरिष्ठ कवियों का सम्मान और दूसरा पक्ष  डॉ अनिल कुमार पाठक की दो कृतियों का लोकार्पण । तीसरा पक्ष कवि सम्मेलन का है। मुझे प्रसन्नता है कि सम्मान समारोह में सम्मान करते हुए समकालीन हिंदी कविता के प्रत्येक पक्ष पर ध्यान दिया गया है। जिनमें सबसे वरिष्ठ शताब्दी पुरुष कवि कथाकार गद्य तथा पद्य की विभिन्न विधाओं के रचनाकार डॉ राम दरश मिश्र जी हैं वे गीति काव्य से लेकर समकालीन कविता के प्रतिनिधि कवि हैं। उनके साथ ही पुरस्कृत हो रहे हैं श्री नरेश सक्सेना जो प्रगति वादी धारा के समकालीन कविता का नेतृत्व करते हैं पुरस्कृत कवियों में है सुरेश सलिल इस बीच काव्योतसव में जो अंतराल हुआ उसी अवधि में वे हमसे दूर चले गए।आज के समारोह में डॉ अनिल कुमार पाठक की काव्य कृतियों प्राण मेरे, बचपन से बचपन लोकार्पित हुईं। इसके पूर्व इनकी दो कृतियां प्रकाशित हो चुकी है इन कृतियों के माध्यम से पाठक जी की काव्य यात्रा के विभिन्न मोड़ों और प्रयोगों को देखा जा सकता है जो उन्हें पढ़ेंगे वे महसूस करेंगे कि पाठक जी वरिष्ठ प्रशासक होने के साथ संवेदनशील कवि हैं।मातृ पितृ प्रेम का उन्होंने नया नमूना प्रस्तुत किया है। समूचा प्रसून साहित्य उत्सव उनकी पितृ भक्ति का अविरल उदाहरण है।


कवि महान नहीं होता कविता महान होती है-डॉ शम्भु नाथ

मुख्य अतिथि के उद्बोधन में पूर्व मुख्य सचिव डॉ शम्भु नाथ ने कहा कि जिनका सम्मान किया गया है उनके जीवन के बारे में जानना चाहिए। इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ अनिल कुमार पाठक की पुस्तक बचपन से बचपन पर बोलते हुए कहा कि यह पुस्तक काव्यात्मक आत्मकथा है।ये फेनिल ताजगी लिए हुए कविताएं हैं।यह साहित्य की अमूल्य साबित होगी। उन्होंने की टी एस इलियट की एक पंक्ति का उल्लेख किया कहा कि कवि महान नहीं होता कविता महान होती है।

कार्यक्रम पारस बेला न्यास लखनऊ एवं अनुष्ठान मुम्बई द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सम्मानित हुई विभूतियों अष्टभुजा शुक्ल एवं डॉ. विद्या विंदु सिंह तथा संगम पांडेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कवि सम्मेलन में डॉ विष्णु सक्सेना , डॉ सोम ठाकुर , डॉ सुरेश अवस्थी , श्लेष गौतम और अभिषेक सहज ने काव्य पाठ किया कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सोम ठाकुर ने की । कार्यक्रम का सफल संचालन आत्म प्रकाश मिश्र ने किया तथा कार्यक्रम के समापन में विजय पंडित ने आभार ज्ञापन किया।






कवि सम्मेलन में कवियों की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ 


बदलते वक्त में ये कैसा दौर आया है,

हमीं से दूर हो गया हमारा साया है,

आज हम उनकी ज़ुबां पर लगा रहे बंदिश-

जिन बुजुर्गों ने हमें बोलना सिखाया है,

डा. विष्णु सक्सेना

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आज हूं आपके इस शहर में तो फिर मुझको सुन लीजिए गुनगुना लीजिए।

क्या पता कल की तारीख में क्या लिखा, आज जी लीजिए मुस्कुरा लीजिए।

- अभिषेक सहज



लिखा किया रह जाएगा,रहता नहीं शरीर 

इसीलिए मरते नहीं,तुलसी सूर कबीर 


डॉ श्लेष गौतम

प्रयागराज 

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जीवन जैसे इक नदी

जनम मरण दो छोर।

लहर लहर काटी उमर

शाम,रात औ भोर।


देह-पेड़ के पात फल 

नींद, प्यास व भूख ।

जल यदि मिले न प्यार का

जाय अभागा सूख. 

O   डॉ सुरेश अवस्थी,कानपुर

कार्यक्रम में दिनेश कुमार गर्ग , गजाला जैगम,  सुशील सीतापुरी महेंद्र भीष्म शिव शंकर त्रिपाठी राजेंद्र सिंह राजेंद्र बहादुर सिंह सुरेंद्र अग्निहोत्री,प्रदुम्न तिवारी,सुभाष राय, अविनाश, ज्ञानेंद्र शुक्ल आदि सहित बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार उपस्थित रहे।



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